भगवान ने गीता में समभाव /समता को ही योग कहा है यदि हम समान भाव या पक्षपात रहित होकर अपने कर्तव्य कर्म करते हैं तब ऐसे कर्म बंधन कारक नहीं होते कर्मों में राग द्वेष रखना ही पाप की श्रेणी में आता है इस विषय पर आधारित मेरा नया पॉडकास्ट सुनें ।धन्यवाद
इस लिंक पर क्लिक करें:
No comments:
Post a Comment