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दुःख उन्हें अधिक सताता है , जिनका मन सरल नहीं है
जैसे शरीर का रखते हैं , वैसे आत्मा का भी रखें ख्याल
दिखावटी मत बनिए , नहीं तो दोष अंदर बैठ जाएंगे
दुनियादारी में न भटकने वाला ही आनंद पाता है
दूसरों को सुख देने के लिए किया गया कर्म यज्ञ होता है
सही - ग़लत का निर्णय लेना भी सिखाती है गीता
मन को कुरेदते रहेंगे तो न शांति मिलेगी , न आनंद