Sunday, May 3, 2020

समान बुद्धि रखकर कर्म करना - दिनांक 25 अप्रैल 2020

व्यवहारिक गीता ज्ञान 

गीता में भगवान सांख्ययोग नामक दूसरे  अध्याय के 48 वें श्लोक में कहते हैं कि:-

🎊🌈 योगस्थ: कुरु कर्माणि सग़म त्यक्तवा धनंजय ।
सिद्धयसिध्दयो: समो भूत्वा समत्वं योग उच्चयते ।। 🌈🎊

हे धनंजय! तू आसक्ति को त्याग कर तथा सिद्धि और असिद्धि में समान बुद्धि वाला होकर योग में स्थित हुआ कर्तव्य कर्मों को कर,  समत्व ही योग कहलाता है।

🎊 भगवान ने इस श्लोक में हमें कर्तव्य कर्म करने से पूर्व तीन चीजों की तरफ हमारा ध्यान आकृष्ट किया है पहली हम आसक्ति को त्याग कर ही अपने अपने कर्तव्य कर्म करें जैसा कि इससे पहले भी अनेकों बार भगवान कह चुके हैं। दूसरी कर्तव्य कर्म का सिद्धि और असिद्धि में अर्थात जैसा हम चाहते थे यदि वैसा ही हमारे अनुकूल हो गया या उसके विपरीत हो गया हमें समान भाव को अपनाना चाहिए।  इसके लिए कर्तव्य कर्म में जब हमारी आसक्ति ही नहीं होगी और न ही हमारा ध्यान फल की तरफ ही होगा, केवल भगवान का दिया हुआ कार्य, शास्त्रों के अनुसार लोक हित के लिए ही करना, भगवान को अर्पण करके कर रहे हैं तब हम समान भाव रख सकते हैं और दोनों अवस्थाओं में हर्ष और शोक से दूर हो सकते हैं। और तीसरी समत्व योग या प्रत्येक परिस्थिति में समान भाव रखते हुए, राग - द्वेष से रहित होकर कर्म करना और उसके फल में भी समान भाव रखना।

🎉 कर्म योग का साधक जब कर्मों में और उनके फलों में आसक्ति कआ त्याग कर देता है तब उसमें राग - द्वेष का और उनसे होने वाले हर्ष - शोक आदि का अभाव हो जाता है । और वह सिंद्धि और असिद्धि में सम रह सकता है।  अतः आसक्ति के त्याग का और समता का परस्पर घनिष्ठ  संबंध है।  हमारा उद्देश्य आसक्ति के बिना ही कर्म करने का होना चाहिए , यदि कर्म के शुरू करने से पूर्व ही उद्देश्य आसक्ति रहित होकर  करना है तब कर्म के अंत में वही बात हो जाती है। यहां पर भगवान ने बतलाया है कि  समत्व ही योग कहलाता है । अर्थात किसी भी भांति हमें अपने दैनिक व्यवहार में समता को प्राप्त करने की दिशा में ही प्रयासरत रहना चाहिए । समत्व को प्राप्त कर लेना ही योगी बनना है।  इसलिए हमें कर्म योगी की भांति कर्म करने के लिए समभाव में स्थित रहने का प्रयास करते हुए अपने कर्तव्य कर्म करने चाहिए । हमें इसका निरंतर अभ्यास करते रहना चाहिए ,ताकि इस शरीर में रहते हुए ही हम अपना स्वयं का उद्धार कर सकें जिसके लिए भगवान ने हम पर कृपा करके हमें मनुष्य शरीर दिया है।

    बी. के .शर्मा 🎊🌷
🙏 धन्यवाद🙏

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